Saturday, 23 April 2016

स्मार्टफोन के बारे में प्रचलित 10 मिथ!



स्मार्टफोन आज हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है लेकिन स्मार्टफोन से जुड़े कई ऐसे मिथ हैं जिन्‍हें हम सच मानते हैं। आज हम कोम्पुग्राम  आपको बता रहे हैं, बैटरी, कैमरा, प्रोसेसर और ऐप से जुड़े कुछ ऐसे ही मिथ्स जिनका सच्चाई से कोई सम्बन्ध नहीं है। 

मिथ: प्रोसेसर डबल करने से फोन की परफ़ॉर्मेंस डबल हो जाती है।
फैक्ट: फोन की चिप को सिंगल कोर से ड्यूल कोर कर लिया जाए या क्वॉड कोर, फोन के बाकी रिसोर्सेस न बदलने के कारण फोन की परफ़ॉर्मेंस पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। इन सभी कोर को एक ही बैटरी और लिमिटेड मेमरी से काम चलाना पड़ता है।

मिथ: ज्‍यादा मेगापिक्‍सल से बेहतर फटॉग्रफी
फैक्‍ट : आमतौर पर स्मार्टफोन यूजर्स सोचते हैं कि ज्यादा मेगापिक्सल होने से बेहतर क्वॉलिटी की तस्वीर मिलेगी लेकिन यह गलत है। फोटो की इमेज क्वॉलिटी कैमरे की शटर स्पीड और अपर्चर पर निर्भर करती है, न कि मेगापिक्सल पर। ज्यादा मेगापिक्सल होने से तस्वीर, बड़ी शीट पर प्रिंट करने में लाभकारी होते हैं।

 मिथ: स्‍मार्टफोन में वायरस और मालवेयर
फैक्‍ट: अगर आप थर्ड पार्टी या अनऑथराइज्ड सोर्स से ऐप डाउनलोड करते हैं, तब ही आपके फोन में मालवेयर्स आएगें। ऐंड्रायड डिवाइसेस में गूगल प्ले स्टोर से ऐप डाउनलोड करने पर आपके फोन में मालवेयर्स नहीं आ सकते। यानी अगर आप सिर्फ गूगल प्ले स्टोर से ऐप डाउनलोड करते हैं तो आपके फोन को ऐंटी-वायरस की कोई जरूरत नहीं है।

 मिथ: डिस्‍प्‍ले बचाने के लिए स्‍क्रीन गॉर्ड जरूरी
फैक्‍ट: अब लगभग सभी स्मार्टफोन, कॉर्निंग गोरिल्ला ग्लास और स्क्रीन प्रोटेक्शन टेक्नॉलजी के साथ आते हैं जो कि आपके स्मार्टफोन के डिस्प्ले की सुरक्षा करने में सक्षम हैं। इन पर स्क्रीन प्रोटेक्टर लगाना जरूरी नहीं है।


 मिथ: लोकल चार्जर के इस्‍तेमाल से बैटरी फट जाती है
फैक्‍ट: स्मार्टफोन की बैटरी में ब्लास्ट होने के कई कारण हो सकते हैं। लोकल चार्जर यूज करने से स्मार्टफोन की चार्जिंग में समय लग सकता है लेकिन इससे आपके फोन की बैटरी फटने वाली बात बिलकुल झूठ है। जब तक चार्जर ठीक से काम कर रहा है, बैटरी को कोई नुकसान नहीं होगा, फिर चाहे चार्जर किसी भी कंपनी का हो। स्मार्टफोन के साथ मिला चार्जर भी अगर खराब हो तो स्मार्टफोन की बैटरी खराब हो सकती है।

 मिथ: ऐप बंद करने से फोन परफ़ॉर्मेंस बढ़ेगी
फैक्‍ट: आपको पता होना चाहिए कि रिसेंटली यूज्ड ऐप, बैकग्राउंड में नहीं बल्कि रैम में स्टोर होते हैं ताकि आप फिर से उनका इस्तेमाल कर सकें। इसलिए रिसेंटली यूज्ड ऐप को बंद करने की जरूरत नहीं है क्योंकि वे आपके फोन की परफ़ॉर्मेंस पर कोई नेगेटिव असर नहीं डालते।

मिथ: ब्‍लूटूथ या वाई-फाई ऑन होने से बैटरी खर्च होती है
फैक्‍ट: ब्लूटूथ या वाई-फाई जब तक इस्तेमाल में न आ रहे हों तब तक बैटरी खर्च नहीं होती है। सिर्फ ऑन होने का बैटरी से कोई लेना देना नहीं है।

मिथ: स्मार्टफोन को मैगनेट के पास रखने से डेटा रिमूव हो जाता है
फैक्‍ट: फोन का डेटा मेमरी कार्ड में स्टोर होता है। अगर आपको लगता है कि मैगनेट के पास रखने से डाटा रिमूव हो जाएगा तो आपको बिलकुल गलत लगता है। मैगनेट आस-पास होने से स्मार्टफोन के स्टॉरेज पर कोई असर नहीं पड़ता।

मिथ: पूरी रात चार्ज करने से बैटरी डैमेज होती है
फैक्ट: अगर आप पूरी रात मोबाइल चार्ज करते हैं तो इससे बैटरी पर फिजिकली कोई फर्क नहीं पड़ता है। हालांकि, बैटरी लाइफ बढ़ाने के लिए उसे 80 प्रतिशत तक ही चार्ज किए जाने की सलाह दी जाती है। वैसे आपका स्मार्टफोन इतना स्मार्ट होता है कि फुल चार्ज होने के बाद वह करेंट रिसीव करना बंद कर देता है।

मिथ: जेब में नहीं रखना चाहिए स्मार्टफोन
फैक्ट: प्रतिष्ठित कंपनियों के स्मार्टफोन्स को SAR (स्पेसिफ़िक एब्जॉर्प्शन रेटिंग) टेस्ट से गुजरना पड़ता है। इस टेस्ट में यह देखा जाता है कि फोन कहीं तय सीमा से ज्यादा हार्मफुल रेडिएशन तो पैदा नहीं करता। इस टेस्ट के बाद ही फोन मार्केट में आता है। यानि अगर आप ब्रैंडेड स्मार्टफोन यूज कर रहे हैं तो आपको रेडिएशन की बहुत अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है।

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