Monday, 25 April 2016

घर का इंटरनेट हो स्लो तो काम आएंगे ये ट्रिक्स !


तमाम लोग इस बात से परेशान रहते हैं कि उनका इंटरनेट बहुत धीरे चलता है। अच्छे प्लान लेने के बावजूद दिक्कत कम नहीं होती। दरअसल, इंटरनेट की स्पीड सिर्फ उसके प्लान पर निर्भर नहीं रहती। स्लो स्पीड की कई वजहें हो सकती हैं। कई सारे ऐसे स्टेप हैं, जो स्पीड बढ़ाने में आपकी मदद सकते हैं।
तकनीकी बदलावDNS बदलें
ब्रॉडबैंड देने वाली कंपनी कोई भी हो, सुरक्षित, भरोसेमंद और ज्यादा तेज स्पीड के लिए कंप्यूटर के लोकल एरिया कनेक्शन या वायरलेस नेटवर्क कनेक्शन में Preffered या Primary DNS सर्वर 8.8.8.8 और Alternate DNS सर्वर 8.8.4.4 होना चाहिए। यह सेवा गूगल द्वारा फ्री उपलब्ध करवाई जा रही है। आमतौर पर यह DNS, IPv4 वाले कम्प्यूटर्स के लिए है। अगर आप विशेष तौर पर IPv6 के DNS बदलना चाहते हैं तो क्रमश: 2001:4860:4860::8888 और 2001:4860:4860::8844 का प्रयोग करें। वैसे तो यह काम खुद ही करना चाहिए, लेकिन 'झंझट' से मुक्ति पाने का सरल तरीका है कि http://inversekarma.in/technology/net/safely-switch-to-google-public-dns-for-a-faster-internet-experience पर जाएं। यहां Download Google DNS Helper पर क्लिक कर एक छोटा-सा सॉफ्टवेयर डाउनलोड करें। उसे क्लिक करें। Switch to Google DNS बटन पर क्लिक करें। सारे बदलाव अपने आप हो जाएंगे।

DNS Cache हटाएं
जो साइट्स आपने अपने कंप्यूटर पर खोली हैं, दोबारा खोलने पर वे जल्दी खुल जाएं इसके लिए DNS cache को ऑपरेटिंग सिस्टम खुद ही इकट्ठा करता रहता है। समय-समय पर इसे हटाना बहुत जरूरी है। इसका तरीका यह है: अपने कीबोर्ड से विंडो की के साथ R दबाएं। सामने आए बॉक्स में टाइप करें CMD और ओके करें। जो कमांड प्रॉम्प्ट खुलेगा, इसमें टाइप करें ipconfig/flushdns और एंटर कर दें। वहीं Exit लिखकर एंटर दबाकर बाहर हो जाएं।

SNR वैल्यू जांचें
SNR मतलब Signal to Noise Ratio। इसकी वैल्यू ब्रॉडबैंड लाइन पर लागू होता है। डाउनलोड के वक्त एक अच्छी लाइन के लिए यह 13 dB से ज्यादा होना चाहिए। फोन लाइन पर इसका मापदंड, मॉडम के मॉडर्न इंटरफेस पर देखा जा सकता है। इसके लिए ब्राउजर के अड्रेस बार में 192.168.1.1 या 192.168.1.2 टाइप करें। एंटर दबाएं। यूजर के लिए admin और पासवर्ड के लिए admin का इस्तेमाल करें। वैसे तो ब्रॉडबैंड 13 dB से कम पर भी चलता है, लेकिन इस कारण स्पीड कम होना, बार-बार कनेक्शन कटना, टाइम आउट जैसी समस्याएं आती हैं। 13 dB से कम वैल्यू पाए जाने पर फोन की तारें बदलना, तारों के जोड़ ठीक करना, टेलिफोन एक्सचेंज से टेलिफोन तक आने वाले वर्टिकल/कैबिनेट/पिलर/डीपी आदि में लाइन पेयर का बदलाव भी स्थिति में सुधार ला सकता है।

Attenuation वैल्यू चेक करें
Attenuation का मतलब है कमजोर होते जाना। इसकी वैल्यू ब्रॉडबैंड लाइन पर लागू होता है। डाउनलोड के वक्त एक अच्छी लाइन के लिए यह 45 dB से कम होना चाहिए। टेलिफोन लाइन पर इसकी वैल्यू मॉडम के मॉडर्न इंटरफेस पर देखी जा सकती है। जिस तरह से आपने एसएनआर वैल्यू चेक की थी, उसी तरह से इसकी वैल्यू चेक की जा सकती है। वैसे तो ब्रॉडबैंड 45 dB से कम पर भी चलता है, लेकिन इस कारण गति कम होना, बार-बार कनेक्शन कटना, टाइम आउट जैसी समस्याएं आती हैं। 45 dB से अधिक मान पाए जाने पर टेलिफोन की तारें बदलना, तारों के जोड़ ठीक करना जैसे काम करके स्थिति में सुधार ला सकता है।

कुछ और सेटिंग्स
सही Modulation का इस्तेमाल

अगर टेलिफोन एक्सचेंज से आपके मॉडम/राउटर तक कई जगहों से घूम-फिर कर आने वाली तारों की लम्बाई ढाई किलोमीटर से ज्यादा हो तो मॉडम/राउटर की DSL सेटिंग में केवल G.dmt Modulation का इस्तेमाल करें। अगर जरूरी न हो तो बाकी सारे मॉड्युलेशन ऑप्शन हटा दें। ध्यान रखें कि टेलिफोन एक्सचेंज से मॉडम/राउटर तक आने वाली भूमिगत तारों की लंबाई का एक्सचेंज से मॉडम तक की हवाई दूरी या सड़क दूरी का कोई लेना-देना नहीं होता। जिस तरह से एसएनआर वैल्यू चेक की थी, यहां उसी तरीके को अपनाएं। साइड में DSL लिखा नजर आएगा। यहां इसकी सेटिंग बदली जा सकती है।

PPPoE रहे हमेशा ऑफ
मोटे तौर पर कहा जाए तो PPPoE हमेशा ऑन होना चाहिए। डायल-अप के मुकाबले PPPoE (Point-to-Point Protocol over Ethernet) का प्रयोग कहीं ज्यादा स्थिर, सुरक्षित और तेज होता है। यहां तक कि ऊंचे Attenuation और कम SNR जैसी विपरीत परिस्थितियों में भी ब्रॉडबैंड बढ़िया काम करता है। इससे हैकर्स भी आपके कंप्यूटर तक सीधी पहुंच नहीं बना पाते। सुरक्षा की नजर से भी यह ऑप्शन ठीक है।

लाइन प्रोफाइल पर ध्यान

आमतौर पर टेलिफोन एक्सचेंज में लगे इलेक्ट्रॉनिक कार्ड DSLAM (Digital Subscriber Line Access Multiplexer) द्वारा लाइन प्रोफाइल 2 Mbps (2048kbps) पर रखी जाती है। कई बार धीमी ब्रॉडबैंड स्पीड की दिक्कत इसलिए आ जाती है कि हमने प्लान तो 4 Mbps का ले रखा है, लेकिन लाइन प्रोफाइल 2 Mbps पर अटकी है। इस स्थिति की जांच के लिए संबंधित विभाग से संपर्क करें। अगर आपका प्लान 256kbps या 512kbps या 1Mbps है तो संबंधित एक्सचेंज अधिकारियों से अनुरोध करें कि वे आपकी लाइन प्रोफाइल को 2 Mbps से घटाकर लाइन 1 Mbps कर दें। इससे SNR में बढ़ोतरी होगी और ब्रॉडबैंड ज्यादा स्थिर होगा, जिससे स्पीड ज्यादा मिलेगी।

चेक करें
मॉडम की क्वॉलिटी

अगर इंटरनेट की स्पीड में कोई खास बढ़ोतरी ना दिखे तो मॉडम बदलने में ही समझदारी है। Teracom, Huawei, UT-Star, TP-link, D-link और Link Sys जैसे कई मॉडम तब भी बढ़िया रिजल्ट देते हैं, जब SNR (Signal to Noise Ratio) ठीक न हो।

लिमिट पार तो नहीं हो गई
आप अपना प्लान पता करें। कहीं ऐसी तो नहीं कि एक निश्चित डेटा के बाद आपके नेट की स्पीड कम हो जाती हो।

ऑटोमैटिक अपडेट बंद हैं या नहीं
मुमकिन हो तो तमाम सॉफ्टवेयर्स के ऑटोमैटिक अपडेट बंद कर दें। कहीं ऐसा ना हो कि आप रेलवे टिकट बुक कर रहे हैं और उसी समय कोई सॉफ्टवेयर अपना अपडेट डाउनलोड करने के लिए इंटरनेट पर कब्जा कर ले। इससे बेहतर है कि सेटिंग ऐसी करें कि जब भी कोई सॉफ्टवेयर अपडेट हो तो आपसे पूछे। फिर आप अपनी सुविधानुसार उसे डाउनलोड की इजाजत दें।

इनका भी रखें ध्यान
नीचे दिए गए तरीकों को भी आजमा सकते हैं। ये तरीके मेरिट के आधार पर क्रम बनाकर लिखे गए हैं, मतलब जो बहुत जरूरी है वह सबसे पहले और सबसे आखिर में सबसे कम जरूरी।
वेब टूलबार, ब्राउजर ऐडऑन, ब्राउजर एक्सटेंशन, स्क्रीनसेवर को ऑफ कर दें।
ऐसी फायरवॉल का इस्तेमाल करें जिसमें इंटरनेट सुरक्षा के साथ साथ मैलवेयर से जूझने की भी क्षमता हो।
इंटरनेट एक्स्प्लोरर के बजाय मोजिला फायरफॉक्स, ओपेरा, गूगल क्रोम का इस्तेमाल करें।
असली विन्डोज़ है आपके पास, तो उसके सभी जरूरी अपडेट समय-समय पर लेते रहें।
ब्राउजर या कंप्यूटर की ट्रेडिशनल डाउनलोडिंग सुविधा के बजाय अच्छे डाउनलोड मैनेजर का प्रयोग करें। ये आपके ब्रॉडबैंड प्लान की स्पीड का आधुनिक तकनीक से प्रयोग करते हैं।
अगर वाई-फाई इस्तेमाल करते हैं तो इसे पासवर्ड के साथ प्रयोग करें। उपयोग किए जाने वाले उपकरणों की संख्या मॉडम में तय कर दें।
किसी टॉरेंट सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं तो काम हो जाने के बाद उसे बंद कर दें वरना वह आपके ब्रॉडबैंड की स्पीड को हड़पता रहेगा।
मौसम का भी असर होता है। बारिश के दिनों में नमी/पानी के कारण तारों के जोड़ में जंग/कार्बन आ जाए तो भी दिक्कत होती है।
पुराना कंप्यूटर, पुराना मॉडम, पुराना ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर (जैसे XP) इंटरनेट को अपनी पूरी क्षमता दिखाने का मौका नहीं देते।

लाइन, वायर, पावर
अच्छे तारों का इस्तेमाल करें

बिजली के लिए प्रयोग की जाने वाली साधारण तारें और दूसरी ऐसी ही तारों का प्रयोग न करें। इसके बदले तांबे वाली उस स्टैंडर्ड की तारें होनी चाहिए जो विशेष तौर पर टेलिफोन जैसे संचार उपकरणों के लिए बनाई जाती हैं। अच्छी क्वॉलिटी वाली तार होने के बावजूद कई बार इंटरनेट की स्पीड में कमी देखी जाती है। कोशिश की जानी चाहिए कि घर के बाहर से स्पिलटर तक आती तारें किसी भी तरह बिजली के तारों के साथ-साथ न आएं और न ही टीवी, स्टेबलाइजर, फ्रिज जैसे बिजली के उपकरणों के पास से गुजरें। इसके अलावा, तारों को जोड़ने वाले टर्मिनल को धूल/जंग/कार्बन से फ्री रहना चाहिए। इसके लिए टर्मिनल की जांच करते रहें। तारों में किसी भी तरह की दरार, कटाव मिले तो उसे बदल दें। बेहतर हो कि बिना किसी तरह के जोड़ वाली तार ही इस्तेमाल करें।

शोर रहित टेलिफोन लाइन
टेलिफोन लाइन में किसी भी तरह का शोर या खड़खड़ाहट नहीं होनी चाहिए। इसकी जांच के लिए टेलिफोन हैंडसेट उठाएं, कोई भी नंबर वाला बटन दबाएं और फिर ध्यान से सुनें कि कोई शोर या खड़खड़ाहट तो नहीं/ हैंडसेट उठाना, बटन दबाना, सुनना, 10 सेकंड्स के भीतर हो जाना चाहिए। उसके बाद तो एक्सचेंज टोन आने लग जाती है।

सही पावर सप्लाई
बिजली के उतार-चढ़ाव से भी मॉडम की कार्यक्षमता प्रभावित होती है। मॉडम के अडॉप्टर के लिए अच्छे यूपीएस का इस्तेमाल करें। सामान्य इन्वर्टर का इस्तेमाल तो कतई न करें। मॉडम का अडॉप्टर भी मॉडेम के लिए तय वोल्टेज और करंट का हो। कई बार मॉडम के साथ दिया गया अडॉप्टर खराब हो जाता है तो हम बाजार से बिना देखे दुकानदार के कहने पर सस्ता सा अडॉप्टर ले आते हैं, जो मॉडम और इंटरनेट स्पीड के लिए नुकसानदायक साबित होता है।

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